हम है बालक नादाँ
दिल में हमारे वफ़ा हो
सच को देखे , सच को समझे
सच को ईश माने
सुंदर धरा
विस्तृत गगन
ऐसा हो हमारा मन
कोयल की कू कू
मोर की पिहू
हम सदा गुनगुनाये
इस धरा को
आओ मिलकर
हम स्वर्ग बनाये
उड़ते पक्षी
बहता पानी
सुंदरता की
कहता कहानी
आओ खो जाये ........
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4 comments:
bahtrin
badhai aap ko is ke liye
इस धरा को
आओ मिलकर
हम स्वर्ग बनाये
कितना खूबसूरत सन्देश दिया है आपने.
सुन्दर रचना
और फिर काफी दिनों बाद आपकी रचना के दर्शन हुए
बहुत सुन्दर रचना
सुन्दर भाव की कामना करती हुई पंक्तियाँ। सर्वे भवन्तु सखिनः
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
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