Friday, May 7, 2010

प्रार्थना

हम है बालक नादाँ
दिल में हमारे वफ़ा हो
सच को देखे , सच को समझे
सच को ईश माने
सुंदर धरा
विस्तृत गगन
ऐसा हो हमारा मन
कोयल की कू कू
मोर की पिहू
हम सदा गुनगुनाये
इस धरा को
आओ मिलकर
हम स्वर्ग बनाये
उड़ते पक्षी
बहता पानी
सुंदरता की
कहता कहानी
आओ खो जाये ........

4 comments:

Dr. C S Changeriya said...

bahtrin
badhai aap ko is ke liye

M VERMA said...

इस धरा को
आओ मिलकर
हम स्वर्ग बनाये
कितना खूबसूरत सन्देश दिया है आपने.
सुन्दर रचना
और फिर काफी दिनों बाद आपकी रचना के दर्शन हुए

Razia said...

बहुत सुन्दर रचना

श्यामल सुमन said...

सुन्दर भाव की कामना करती हुई पंक्तियाँ। सर्वे भवन्तु सखिनः

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com