वेद पुराण सभी कहते हैं, तू तो भगवान है
तू ही अम्बा, तू जगदम्बा, तू शक्ति महान है
इस दुनिया को मैं भी देखूं, ये मेरा अरमान है
मेरी हत्या मत कर माता, मैं तेरी संतान हूँ
बेटी पूछे माँ से आज, क्यों ना तुझे स्वीकार हूँ
जन्म से पहले मारे मुझको
मेरा क्या अपराध है
दिल ही दिल में घुटती हूँ मैं
पूंछू क्या भगवान से
मेरा ईश्वर मुझसे रूठा
किसको करूं शिकायत मैं
मैं भी जीना चाहती हूँ माँ
मेरी अच्छी प्यारी माँ, मेरी बहुत दुलारी माँ
मुझको भी जीवन दे दो, मैं भी जीना चाहती माँ
लड़कों से भी आगे बढ़कर, मैं तुझको दिखलाऊंगी
धरती जैसी धीरज मुझमे, चंदा जैसी शीतलता
सूरज जैसा तेज़ है मुझमे, नदियों जैसी चंचलता
लहर-लहर लहराऊँ ऐसे, जैसे फूलों की डाली
बोली ऐसी मेरी जैसे कोयल गाती मतवाली
जितना गर्व हिमालय में है, उतनी मैं भी गर्वीली
जितनी कोमल, उतनी हठीली, उतनी ही मैं शर्मीली
अब बोलो माँ ---
क्या अब भी मुझको मार डालोगी
जन्म से पहले ही, मेरा गला घोट दोगी
अपनी इस बेटी को माँ, क्या ममता का अंचल दोगी
क्या मुझको जन्म दोगी माँ?