Monday, June 22, 2009

क्या मुझको जन्म दोगी माँ?


वेद पुराण सभी कहते हैं, तू तो भगवान है
तू ही अम्बा, तू जगदम्बा, तू शक्ति महान है
इस दुनिया को मैं भी देखूं, ये मेरा अरमान है
मेरी हत्या मत कर माता, मैं तेरी संतान हूँ
बेटी पूछे माँ से आज, क्यों ना तुझे स्वीकार हूँ
जन्म से पहले मारे मुझको
मेरा क्या अपराध है
दिल ही दिल में घुटती हूँ मैं
पूंछू क्या भगवान से
मेरा ईश्वर मुझसे रूठा
किसको करूं शिकायत मैं
मैं भी जीना चाहती हूँ माँ
मेरी अच्छी प्यारी माँ, मेरी बहुत दुलारी माँ
मुझको भी जीवन दे दो, मैं भी जीना चाहती माँ
लड़कों से भी आगे बढ़कर, मैं तुझको दिखलाऊंगी
धरती जैसी धीरज मुझमे, चंदा जैसी शीतलता
सूरज जैसा तेज़ है मुझमे, नदियों जैसी चंचलता
लहर-लहर लहराऊँ ऐसे, जैसे फूलों की डाली
बोली ऐसी मेरी जैसे कोयल गाती मतवाली
जितना गर्व हिमालय में है, उतनी मैं भी गर्वीली
जितनी कोमल, उतनी हठीली, उतनी ही मैं शर्मीली
अब बोलो माँ ---
क्या अब भी मुझको मार डालोगी
जन्म से पहले ही, मेरा गला घोट दोगी
अपनी इस बेटी को माँ, क्या ममता का अंचल दोगी
क्या मुझको जन्म दोगी माँ?

21 comments:

M Verma said...

Maa ko mera salaam. Bitiya ko bhi janm de, bus yehi paigam

दीपा सिंह said...

सुबह मेल खोलते ही आपका लेख पदा जो कि मन को छू गया अब माँ क़ॉ बॆटिय़ॉँ का इंतजार है बस वह बडी हो कर दूर चली जाती हैँ मेरा भी ब्लोग पदियेगा आपको अच्छा लगेगा

श्यामल सुमन said...

अच्छे भाव की रचना।

महिला मुक्ति आन्दोलन का समाज पे इतना प्रभाव है।
कि जन्म से पहले ही मुक्ति का प्रस्ताव है।।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com

Murari Pareek said...

बहुत दर्द भरी भावना व्यक्त की आपने और हमने पढ़ी !! पर पढ़ने और लिखने भर की हैं !! असर कहाँ होता किसी पे ? इंसान को तो जानवर भी नहीं कह सकते, इस मामले मैं क्योंकि जानवर भी लिंग भेद नहीं करता, क्या कहें ? पिशाच ? नहीं वो भी लिंग भेद नहीं करते, और अब क्या कहें उससे ऊपर हो गया इंसान !!

रंजना said...

Marmik ....Bhavpoorn !!!

Pradeep Kumar said...

kanya bhroon hatya aaj hariyaanaa hi nahi poore desh ki sabse bhayanak samasyaa hai. aapne ise utne hi prabhavshaali dhang se uthaayaa hai .
dhanyavaad

नवनीत नीरव said...

bbhust bhauk si rachna hai aapki.

सुरेश शर्मा . कार्टूनिस्ट said...

ek bachhi ki pukar,janni ke naam,
ye dard bhari dastan ek maa ke naam
kya mujhko janam dogi maa.........?
maa hai mamta ka naam..
mamta ki laj rakh lo maa...
DIL KO CHU LIYA AAPKI RACHNA NE......

Udan Tashtari said...

बहुत मार्मिक भावपूर्ण रचना.

प्रवीण शुक्ल (प्रार्थी) said...

माँ ---क्या अब भी मुझको मार डालोगीजन्म से पहले ही, मेरा गला घोट दोगीअपनी इस बेटी को माँ, क्या ममता का अंचल दोगीक्या मुझको जन्म दोगी माँ?
बहुत मार्मिक सम्बेदनायो से भरी भावः पूर्ण रचना आज की ज्वलंत समस्या को दर्शाती मेरी बधाई स्वीकार करो
सादर
प्रवीण पथिक

9971969084

निर्मला कपिला said...

मार्मिक लेकिन बहुत सुन्दर भाव लिये बडिया कविता शुभकामनायें आभार्

!!अक्षय-मन!! said...

bahut hi gehri baat kahi hai aapne.......
samajh nahi aata aage kya kahuin........

विवेक सिंह said...

मार्मिक रचना ने दिल छू लिया !

cartoonist anurag said...

aapki rachna behad achhi hai...
ek ghtna ne mahilao ki sthiti par cartoon banane par majboor kar diya... is cartoon ko aap jaroor dekhen aour apne vichar se mujhe avshay hi avgat karayen....

Anonymous said...

मार्मिक संवेदना लिए दिल तो छोटी रचना..

बहुत खूब..

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

भावप्रणव मार्मिक रचना के लिए बधाई।

sandhyagupta said...

Achchi rachna hai.Shubkamnayen.

Razi Shahab said...

अच्छे भाव की रचना।

Prem Farukhabadi said...

Bhavpoorn laga !!!

adwet said...

सचमुच काफी अच्छे भाव बने हैं। बधाई।

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' said...

मन को छूती,सुन्दर,मार्मिक,भावपूर्ण रचना....
रचना बहुत अच्छी लगी....बहुत बहुत बधाई....