Sunday, June 21, 2009

दायरों से निकालना चाहती हूँ --


रिश्तों के दायरे में
सिमटती मानवता को
दायरों से निकालना चाहती हूँ
क्योंकि --
मैं जानती हूँ कि एक दिन
ऐसी सीमाओं में
कदम-दर-कदम की बाधाओं में
गुब्बारे की बंद हवाओं की तरह
भीतरी परिवेश से
कुछ नया करने का आवेश सड़ जाएगा
मानवता का भाव
कहीं रूंध जाएगा

16 comments:

M VERMA said...

बहुत खूबसूरती से दायरे से निकलने की छटपटाहट
बहुत सुन्दर रचना

Murari Pareek said...

सड़ जयेदा जी सड़ जाएगा ! और मानवता का भाव सचमुच ही रुंध जाएगा !! ये आपकी कल्पना तो हकीक़त है !!!

gazalkbahane said...

रिश्तों के दायरे में
सिमटती मानवता को
दायरों से निकालना चाहती हूँ
आपने बिलकुल ठीक फरमाया-ब्लॉग आप सरीखे हरियाणवी की ओर से

ब्लॉग जगत पर पहला कदम रखने पर आपका स्वागत
उम्र भर साथ था निभाना जिन्हें
फासिला उनके दरमियान भी था

-‘.जानेमन इतनी तुम्हारी याद आती है कि बस......’
इस गज़ल को पूरा पढें यहां
श्याम सखा ‘श्याम’

http//:gazalkbahane.blogspot.com/ पर एक-दो गज़ल वज्न सहित हर सप्ताह या
http//:katha-kavita.blogspot.com/ पर कविता ,कथा, लघु-कथा,वैचारिक लेख पढें

bhawna said...

manavata to din prati din ....rundh hi rahi hai kya kiya jaay aaj kal isi ko "practical" hona kahte hain


fir bhi aapki kavita sundar hai , aapka swagat

प्रकाश गोविंद said...

रिश्तों के दायरे में
सिमटती मानवता को
दायरों से निकालना चाहती हूँ....


बहुत सुन्दर भाव
आशा और उम्मीद से भरी प्रेरक रचना है......

मेरी हार्दिक शुभकामनाएं

आज की आवाज

श्यामल सुमन said...

सीखे सब रिश्तों मे रहकर मानवता का मूल।
अगर दायरा सिमट गया तो होगी सचमुच भूल।।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com

मुकेश कुमार तिवारी said...

ऊषा जी,

उम्मीद बंधाती हुई कविता अच्छी लगी।
ब्लॉग जगत में स्वागत है आपका।
बधाईयाँ।

मुकेश कुमार तिवारी

गंगू तेली said...

sunder rachanaa. Blog jagat me aapka swagat.

gangu teli

रवि कुमार, रावतभाटा said...

शुभकामनाएं...

Unknown said...

atyant uttam rachna !
badhaai !

हें प्रभु यह तेरापंथ said...

बहुत सुन्दर
मेरी हार्दिक शुभकामनाएं
मुम्बई टाईगर

hindi-nikash.blogspot.com said...

आज आपका ब्लॉग देखा......... बहुत अच्छा लगा. मेरी कामना है की आपके शब्दों को नए अर्थ, नई ऊंचाइयां और नई ऊर्जा मिले जिससे वे जन-सरोकारों की सशक्त और सार्थक अभिव्यक्ति का समर्थ माध्यम बन सकें.
कभी समय निकाल कर मेरे ब्लॉग पर पधारें.

सादर सद्भाव सहित-
आनंदकृष्ण, जबलपुर
मोबाइल : 09425800818

Yogesh Verma Swapn said...

sunder rachna.

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर said...

kalpana tp damdar hai magar dayara to har kisi ka hota hai taki garima bani rahe.

राजेंद्र माहेश्वरी said...

हिंदी भाषा को इन्टरनेट जगत मे लोकप्रिय करने के लिए आपका साधुवाद |

Anonymous said...

सुन्‍दर। शुभकामनाएँ।